Tuesday, February 14, 2012

देखें


सब तरफ इस दौर की संगदिली के निशान देखें
हर ख्वाहिश बेचैन, हर ख्याल को परेशान देखें

क्या कहना ऐसे हौसलामन्दों के सफ़र का
वो ही मंजिल मान लें जिस राह को आसान देखें

तुम थे तो फुर्सत कहाँ थी हमें अपने मश्गलों से
जो तुम चले गए तो सूने घर का सामान देखें

आईने में भी कोई अजनबी सूरत नज़र आती है
किस से अपना पता पूछें कहाँ अपनी पहचान देखें

दिल खाली से फिरते देखें सजे हुए बाज़ारों में
सड़कों पर उमड़ते हुए जज़्बातों के तूफ़ान देखें

तेरी दुनिया में निस्बतों की कीमत क्या है
लोग दोस्ती में भी नफा-नुकसान देखें

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